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3 दिन बाद, शाम का वक्त था। सुनीता ने दरवाजा खटखटाते हुए कहा, “दुआ बेटा, होली के बाद से तुम्हें क्या हो गया है? तुम अपने कमरे से बाहर क्यों नहीं निकल रही हो? तुमने दो दिनों से ना तो ठीक से कुछ खाया है, ना पिया है। मुझे बहुत टेंशन हो रही है। प्लीज़ बेटा, कम से कम अब तो दरवाज़ा खोलो। मुझे तुमसे बात करनी है। बताओ, क्या बात है? क्यों तुमने खुद को बंद कर लिया है? तुम्हें पता है, वो मैडम भी तुम्हारे बारे में पूछ रही थी। लेकिन अभी तक तुमने दरवाज़ा भी नहीं खोला। मुझे सच में बहुत टेंशन हो रही है।”

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