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Don't touch me

My Hot Principal _ Don't touch me…..

अगली सुबह कॉलेज में पहले लेक्चर के बाद कयामत अपनी जगह से उठी और बाहर जाने लगी। तभी एक लड़के ने पीछे से रोकते हुए कहा, “Actually तुम्हें वो डाउट बहुत अच्छे से समझ आ गया था, तो क्या तुम मुझे समझा सकती हो?”

कयामत ने धीरे से कहा, “अभी मैं कैंटीन जा रही हूं, बाद में बताऊंगी।”

ये कहकर वो जाने लगी तो वो लड़का पीछे चलते हुए बोला, “मैं भी तुम्हारे साथ वहीं चलता हूं, मुझे वहीं बता देना।”

ये सुनकर कयामत ने बस आँखें घुमा दीं।

पर तभी पीछे से निधि आते हुए बोली, “कयामत यार, क्या हुआ है तुम्हें? तुम आज बहुत ज़्यादा शांत और चुप लग रही हो। सुबह से तुमसे बात करने की कोशिश कर रही हूं पर तुम हो कि कुछ बोल ही नहीं रही। आखिर हुआ क्या है? क्या तुम मुझे साफ-साफ बताओगी?”

इसके जवाब में कयामत ने चलते हुए कहा, “मैं बिल्कुल ठीक हूं यार।”

लेकिन निधि ने गुस्से से कहा, “तुम बिल्कुल भी ठीक नहीं हो, मुझे अच्छे से पता है तुम्हें कुछ ना कुछ जरूर हुआ है। अब मुझे साफ-साफ बताओ, क्या हुआ है? मैं तुम्हारी दोस्त हूं यार, कम से कम मुझसे तो मत छुपाओ।”

कयामत ने अपनी आंखें बंद कीं और गहरी सांस लेकर बोली, “Actually, मैं ब्राज़ील जा रही हूं और आगे की higher studies वहीं से करूंगी।”

निधि ये सुनते ही shocked हो गई और हैरानी से बोली, “क्या? ब्राज़ील? वो भी अचानक से? But ये कैसे हो सकता है? ये कॉलेज तो तुम्हें बहुत पसंद था ना! तुम तो यहां पर बहुत खुश थी, फिर अब अचानक से ये ब्राज़ील का plan कैसे?”

कयामत गुस्से से बोली, “ये सब मेरे principal की वजह से हुआ है। पता नहीं वो खुद को क्या समझते हैं! उन्हें लगता है कि वो किसी भी लड़की की जिंदगी से ऐसे खेल सकते हैं। लेकिन मैं ऐसी नहीं हूं। वो मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते।”

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निधि ने हैरान होकर कहा, “तो तुम ये कहना चाहती हो कि ये सब कुछ हमारे Principal ने किया है? But ऐसा कैसे हो सकता है? तुम तो उनके लिए बाकी स्टूडेंट्स की तरह ही हो… तो फिर वो तुम्हें ब्राज़ील कैसे भेज सकते हैं?”

इसके जवाब में कयामत ने दांत पीसते हुए कहा, “वो मेरी mom की बेस्ट फ्रेंड के बेटे हैं। और मेरी responsibility उन्हें दी गई है। वो मेरे career और future के decisions ले सकते हैं।

You know what, इसमें पूरी गलती मेरी mom की है। उन्होंने किसी और पर इतना ज्यादा trust कर लिया कि अब वही इंसान मेरी जिंदगी के साथ खेल रहा है।

मैं प्रिंसिपल को कभी माफ नहीं करूंगी। बेशक मैं ब्राज़ील चली जाऊंगी, लेकिन उन्हें माफ करना तो दूर, मैं उनकी शक्ल भी नहीं देखना चाहती।”

ये सुनकर निधि चुप हो गई।

पर तभी पीछे से एक आवाज़ आई—

“तो क्या मैं जान सकता हूं कि मुझे तुम्हारी माफ़ी किस तरह से मिल सकती है?”

ये सुनते ही कयामत के एक्सप्रेशंस एकदम बदल गए। उसने गुस्से से दांत भींचते हुए पीछे मुड़कर कहा,

“देखिए Principal, इस वक्त मेरा दिमाग बहुत खराब है। तो कुछ भी कहने से पहले सोच लीजिएगा, क्योंकि मैं उल्टा जवाब दे सकती हूं। मैं ये भी नहीं देखूंगी कि आप मेरे प्रिंसिपल हैं और हम कॉलेज में हैं।”

अक्षांश ने तिरछी स्माइल के साथ कहा, “मुझे फर्क नहीं पड़ता। बस इतना पता है कि इस वक्त तुम्हें मेरे साथ चलना है। I need to talk to you.”

ये कहकर वो आगे बढ़ा और उसका हाथ पकड़ लिया।

कयामत गुस्से में अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली,

“छोड़िए मेरा हाथ! कहां लेकर जा रहे हैं आप?

मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी!

आपने पहले ही मेरी जिंदगी के साथ बहुत खिलवाड़ कर लिया है।

अब ऐसा कुछ नहीं होने वाला।

अब मैं आपकी बातें बिल्कुल भी नहीं सुनूंगी।

मैंने कहा— छोड़ दीजिए मुझे!”

ये कहकर वो खुद को छुड़ाने लगी, लेकिन अक्षांश उसे खींचते हुए अंदर की तरफ ले आया और सीधे कॉरिडोर में ले जाकर बोला,

"तुम्हें नहीं लगता कि तुम बेवजह मुझ पर शक कर रही हो? तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि ये सब कुछ मैंने किया है?"

कयामत ने दांत पीसकर कहा,

"क्योंकि ये सब कुछ आपने ही किया है, वरना मेरे मॉम-डैड कभी मुझे खुद से दूर नहीं भेजते!"

अक्षांश ने उसका चेहरा पकड़ते हुए कहा,

"क्या तुम थोड़ी सी पागल हो? तुम समझ क्यों नहीं आती कि ऐसा कुछ भी नहीं है? तुम्हें एहसास क्यों नहीं होता कि—"

लेकिन दूसरे ही पल कयामत ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा,

"मुझे सब समझ आता है, Principal! मैं कोई दूध पीती बच्ची नहीं हूं। बेशक मैं अभी उतनी समझदार नहीं जितने आप हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप मेरे साथ कुछ भी करेंगे और मैं बस देखती रहूंगी।

एक बात कान खोलकर सुन लीजिए—मुझे आपसे कोई लेना-देना नहीं है। मैं अपनी ज़िंदगी according to me चलाऊंगी। आप चाहें तो यहां से जा सकते हैं!"

ये कहकर वो खुद को दूर करने लगी, लेकिन तभी अक्षांश उसके होठों के करीब आते हुए बोला,

"तुम कुछ ज़्यादा ही बोल रही हो… लगता है मुझे अपने तरीके से तुम्हें शांत करना ही होगा।"

ये सुनकर कयामत चीखी,

"Don’t touch me! And don’t kiss me! मेरा आपसे कोई रिश्ता नहीं है, तो आप मुझे ऐसे जबरदस्ती kiss नहीं कर सकते! इसलिए छोड़िए मुझे!"

ये कहकर वो उसे खुद से दूर धक्का देने लगी, लेकिन अक्षांश ने उसके चेहरे को कसकर पकड़ते हुए कहा,

"I can kiss you. I can touch you. I can have you. And I can eat you also.

तुम पर मेरा हक है… तुम मेरी हो। और अगर मैं चाहूं तो अभी इसी वक़्त तुम्हें सिर्फ अपना बना सकता हूं।

लेकिन फिलहाल के लिए… ये पागलपन छोड़ो और अपने future पर focus करो।"

कयामत की आंखों में आंसू आ गए। वो गुस्से से बोली,

"मैं कोई खिलौना नहीं हूं, जिसे आप अपनी मर्जी से खेल सकें। इंसान हूं मैं!

मुझे तकलीफ होती है… दर्द होता है।

But इससे आपको क्या? आप तो सिर्फ अपना पागलपन दिखाते हैं।

You know what?

मैं आपसे दूर नहीं जाना चाहती… पर आप जानबूझकर मुझे खुद से दूर कर रहे हैं, क्योंकि आप मुझसे irritate हो गए हैं ना?

मैं बहुत परेशान कर रही हूं आपको, है ना?

फिक्र मत कीजिए… अब मैं आपसे दूर जरूर जाऊंगी।

तब आपको एहसास होगा कि मैं वाकई कोई ऐसी वैसी लड़की नहीं हूं, जो आप जैसे इंसान के पीछे खुद को पागल कर दे!"

ये कहकर उसने गुस्से में अक्षांश को धक्का दिया और जैसे ही दूर जाने लगी,

अक्षांश ने उसे अचानक बाहों में भर लिया और उसके होठों को अपने होठों में ले लिया।

कयामत ने अपनी आंखें बंद कर लीं। उसकी आंखों के कोने से एक आंसू बह निकला।

लेकिन अक्षांश उसे passionately और गुस्से से kiss करने लगा।

उस kiss में कोई softness या प्यार नहीं था… सिर्फ गुस्सा था,

जिसका दर्द कयामत को अपने होठों पर गहराई से महसूस होने लगा।

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