
इधर दूसरी तरफ,
पार्टी खत्म हो चुकी थी। सब अपने-अपने घर जा चुके थे। माहेश्वरी पैलेस के अंदर एक अजीब सा सन्नाटा था। हरीश गुस्से के साथ सामने चुपचाप खड़े व्यांश को देख रहे थे। आरुषि थोड़ा परेशान थी। सुनीता भी घबराते हुए हरीश जी को ही देख रही थी। तभी वहां राकेश जी आते हुए बोले, “हरीश, जाने दो। अभी-अभी 18 का हुआ है। अब जैसे-जैसे इसकी उम्र बढ़ेगी, वैसे-वैसे ये समझदार हो जाएगा। तुम्हें इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है।”

Write a comment ...