
वैदेही इस वक्त टेरेस पर टहल रही थी। उसके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था। पिछले कुछ दिनों में वेदांश ने उसके साथ जो कुछ भी किया था। उसके बाद वो शायद यहां नहीं रहना चाहती थी। पर मजबूरी की वजह से उसे अभी भी यहां रहना पड़ रहा था।
वैदेही की आंखों में आंसू थे। वो आसमान की तरफ देख रही थी। पर तभी उसने धीरे से कहा “एक वक्त था। जब मैंने वेदांश से प्यार किया था और उस प्यार के लिए मैं ये सब कुछ टॉलरेट करती रही। पर मुझे नहीं पता था कि वेदांश आखिर में मुझे ऐसे छोड़ देगा। वो तो ऐसे जताएगा की जैसे उससे मुझे फर्क ही नहीं पड़ता। आज मुझे तकलीफ हो रही है। मुझे रोना आ रहा है। अकेले मैं परेशान हो चुकी हूं। पर कोई भी मेरी परेशानी समझने वाला नहीं है।”

Write a comment ...