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रम्या की नज़रें यशवर्धन की नज़रों से टकराईं। दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे। यशवर्धन को देखते ही रम्या के चेहरे पर पसीना आने लगा, उसका दिल बहुत बुरी तरह धड़कने लगा। उसके हाथ पर मानव का स्पर्श पड़ा तो वह अपनी कांपती आवाज़ में धीरे से बोली, “यह सब क्या है? मुझे ऐसी अजीब तरह से फील क्यों हो रहा है? इस इंसान को देखकर मुझे इतनी बेचैनी क्यों हो रही है?”




















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