
तभी हरीश जी ने अपनी सख्त आवाज़ में कहा,
"मैंने कितनी बार कहा है, उस लड़की का नाम इस घर में या मेरे पोते के सामने नहीं लिया जाएगा! आखिर सबको समझ क्यों नहीं आता? पिछले तीन साल से मैं एक ही नाम सुन रहा हूं, लेकिन अब नहीं — खासकर मेरे पोते के सामने, और वो भी इस नाम को नहीं। तुम सबको पता है कि इस नाम को सुनकर मेरा पोता कितना गुस्सा होता है। उसे अपनी मां की कोई परवाह नहीं है, बल्कि वो तो उस लड़की से नफरत करता है!"




















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