अगली सुबह,
सुबह के करीब 5 बजे मल्लिका की आँखें खुल गईं। उसे सारी रात नींद नहीं आई थी—उसके दिमाग में बस द्रांश की बातें और उसकी ब्लैकमेलिंग घूम रही थीं। वो समझ नहीं पा रही थी कि इस कंडीशन से खुद को कैसे निकाले।
उसने एक नज़र खिड़की से बाहर डाली। हल्की-हल्की सुबह हो रही थी। जब उसने समय देखा, तो 5 बज रहे थे। खुद से बुदबुदाते हुए उसने कहा, "मुझे जाना ही पड़ेगा। मैं उस इंसान पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं कर सकती। जब वो मेरे साथ जबरदस्ती कर सकता है, तो वो कुछ भी कर सकता है... और मैं अपनी दीदी को खोना नहीं चाहती।"
ये सोचते हुए वो बिस्तर से उठी और फ्रेश होने चली गई। तैयार होने के बाद उसने एक पर्पल कलर की मिडी ड्रेस पहनी। अपने बालों को हल्के-हल्के कर्ल करके खुला छोड़ दिया। उसने बहुत ही न्यूड मेकअप किया, क्योंकि उसे मेकअप करना पसंद था। चाहे वो जितनी भी अपसेट हो, लेकिन हल्का-सा मेकअप जरूर करती थी।
अंत में, उसने अपना टच-अप किया और होंठों पर लिप ग्लॉस लगाया।
लेकिन तभी उसके दिमाग में फिर से वो बात आने लगी, जिसे सोचकर उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसने अपने होंठों पर लगे लिप ग्लॉस को कोसते हुए रगड़ते हुए कहा, "माँ, तो ऐसा कर रही है कि मैं अपने इस लिप्स को किसी और बॉडी पार्ट से अलग कर दूं। आई हेट यू, टॉक ब्रदर-इन-लॉ। आई रियली हेट योर टच!"
ये कहते हुए वो कमरे से बाहर निकली, लेकिन जैसे ही वो गेट के पास पहुंची, मुकेश जी ने उसे रोकते हुए कहा, "क्या बात है, कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा हूं? सूरज पश्चिम से तो नहीं निकल रहा है? मेरी बेटी इतनी सुबह बिना किसी वजह के उठकर रेडी होकर कहां जा रही है?"
मुकेश जी के ऐसे सवालों से मल्लिका रुक गई और थोड़ी हिचकिचाते हुए बोली, "डैडी, एक्चुअली आज रोहन के साथ मेरी एक मीटिंग थी।"
ये सुनकर मुकेश जी ने हैरान होकर पूछा, "रोहन कौन?"
मल्लिका को अचानक याद आया कि उसने अभी तक अपने ऑडिशन के बारे में कुछ नहीं बताया था। इसलिए वो तुरंत कंडीशन संभालते हुए बोली, "रोहन मेरा कॉलेज का फ्रेंड है। आपको तो पता है, ना कि मैं जल्द ही कॉलेज जाने वाली हूं, जैसा कि आपने मेरा एडमिशन भी यूनिवर्सिटी में करवा दिया है। तो वहीं पर मेरा एक दोस्त बन गया है। उसी से मिलने जा रही हूं। उसका घर यहां से काफी दूर है, तो ड्राइव करते-करते टाइम हो जाएगा। इसलिए पहले जा रही हूं।"
ये कहकर उसने अपनी नजरें चुराईं, क्योंकि उसे पता था कि अगर उसने नजर मिलाई, तो उसका झूठ पकड़ा जाएगा।
मुकेश जी कुछ पल तक उसे देखते रहे, फिर प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोले, "बेटा, तुम अपना ख्याल रखना। तुम अभी बहुत छोटी हो। अगर तुम्हें कोई भी प्रॉब्लम होती है तो मुझे कॉल कर देना।"
ये सुनकर मल्लिका मुस्कुरा दी और बोली, "थैंक यू, डैडी। अब मैं जा रही हूं।"
इसके बाद, वो कार में बैठी और ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए खुद से बोली, "I'm sorry, डैडी, सुबह-सुबह मुझे आपसे झूठ बोलना पड़ रहा है, पर क्या बताऊं, मैं अपने ब्रदर-इन-लॉ से मिलने जा रही हूं, जो मुझे ब्लैकमेल करके बुला रहा है?"
ये सब कहते हुए उसने गहरी सांस ली और टाइम देखा—6:30 बज चुके थे। उसे 7 बजे तक वहां पहुंचना था, और पहुंचते-पहुंचते ही उसे आधे घंटे लग गए। 7 बजने में 5 मिनट बाकी थे। बहुत जल्दबाजी में, वो लगभग दौड़ते हुए ऑफिस बिल्डिंग के अंदर गई, लेकिन चारों तरफ देखकर वो हैरान हो गई। पूरा ऑफिस बंद था, और वहां कोई भी नहीं था।
ये देखकर मल्लिका ने थोड़ा डरते हुए कहा, "अब मैं क्या करूं? ब्रदर-इन-लॉ ने मुझे इतनी सुबह-सुबह यहां क्यों बुलाया? यहां तो ऑफिस में कोई भी नहीं आया है। कहीं वो मेरे साथ कुछ गलत तो नहीं करेंगे?"
लेकिन तभी उसने अपना बैग कसकर पकड़े हुए कहा, "अगर वो मेरे साथ कुछ गलत करेंगे, तो मेरे पास भी बहुत सारे ट्रिक्स हैं। मैं उन्हें सबक सिखाऊंगी और उन्हें छोड़ूंगी नहीं!"
ये सब कहते हुए और खुद को हिम्मत देते हुए, वो सीधे लॉबी एरिया में गई। लॉबी में बैठकर उसने ठीक 7 बजे का इंतजार करना शुरू किया। जैसे ही 7 बजे हुए, लिफ्ट का दरवाजा खुला। उसकी आवाज सुनकर मल्लिका की नजर उस दिशा में चली गई। लेकिन जैसे ही उसने लिफ्ट से द्रांश को बाहर निकलते देखा, वो कुछ देर के लिए बस उसे देखती रह गई।
कोई शक नहीं था कि द्रांश अपने 28 साल की उम्र में हद से ज्यादा अट्रैक्टिव और हैंडसम था। कोई भी उसकी आकर्षक पर्सनैलिटी से अनदेखा नहीं रह सकता था। ना चाहते हुए भी, मल्लिका द्रांश को ऊपर से नीचे तक घूरने लगी।
द्रांश ने उसे इस तरह घूरते हुए देखा और तिरछा मुस्कुराते हुए, उसके करीब आते हुए बोला, "क्या मैं काफी ज्यादा हैंडसम हूं?"
उसकी ये बात सुनते ही मल्लिका एकदम से शॉक हो गई। उसने तुरंत खुद को हजार बार गाली दी और नजरें झुका दीं। फिर वो बिना देर किए, द्रांश की तरफ देखते हुए बोली, "किसने कहा आप हैंडसम हैं? आप तो सबसे ज्यादा भद्र दिखने वाले इंसान हैं!"
ये सुनकर द्रांश हल्के से मुस्कुराया और उसके करीब बैठते हुए बोला, "क्या सच में? लेकिन तुम तो मुझे घूर रही थी!"
ये सुनकर मल्लिका का चेहरा, ना चाहते हुए भी, लाल हो गया।
उसे इस वक्त बहुत गुस्सा भी आ रहा था और शर्म भी महसूस हो रही थी। आखिर वो इतनी बेशर्मी से द्रांश को कैसे देख सकती थी, जबकि द्रांश उसके साथ गलत कर रहा था। लेकिन उसने किसी तरह खुद को संभाला और कहा, "मैंने कहा ना, मैं आपको नहीं देख रही थी। बल्कि मैं तो इसलिए आपको देख रही थी कि आखिर कैसे एक इंसान इतना ज्यादा इनोसेंट दिख सकता है।"
उसने आगे कहा, "यू नो व्हाट, आप जैसा घटिया इंसान मैंने कहीं नहीं देखा। चेहरे पर बिना एक्सप्रेशन लिए, कैसे गंदे और घटिया काम करते हो आप?"
वो लगातार कड़वी बातें कहे जा रही थी, लेकिन द्रांश पर तो जैसे कोई असर ही नहीं हो रहा था। वो तिरछा मुस्कुराया और उसके और भी ज्यादा करीब बैठते हुए बोला, "तुम्हें पता है, सुबह-सुबह तुम्हारी यही आवाज़ तो मैं मिस कर रहा था। इसलिए तो मैंने तुम्हें इतनी सुबह बुला लिया। अब तुम ज्यादा देर मत करो और मेरी बाहों में आ जाओ!" कहकर उसने अपनी बाहें फैला दीं।
मल्लिका एक पल के लिए हैरान हो गई। वो द्रांश को disbelief से देखने लगी, जैसे कि द्रांश ने उसे अपनी बाहों में बुलाया है और वो उसके कहते ही चली जाएगी। लेकिन दूसरे ही पल, मल्लिका सैटिस्टिक होकर बोली, "ब्रदर-इन-लॉ, आपको खुद के ऊपर इतना कॉन्फिडेंट क्यों है? आपको क्यों लगता है कि आप मुझे अपनी बाहों में बुलाएंगे और मैं दौड़ती हुई आपके पास चली जाऊंगी?"
ये सुनकर द्रांश कुछ पल तक उसे देखता रहा और फिर तिरछा मुस्कुराकर बोला, "तो क्या वाकई तुम मेरी बाहों में नहीं आओगी?"
मल्लिका गुस्से से बोली, "नहीं, बिल्कुल भी नहीं!"
तभी द्रांश अपना फोन निकालते हुए बोला, "कोई बात नहीं, फिर ये फोटोस मैं तुम्हारी बहन के पास सेंड कर देता हूं। उसके बाद तुम देख लेना, तो मैं क्या करूंगा!"
ये सुनते ही मल्लिका की आँखें बड़ी हो गईं। उसे समझ आ गया था कि द्रांश अब उसे इसी बात से ब्लैकमेल करके अपनी सारी बातें मनवाने वाला था। वो ना चाहते हुए भी गुस्से से चिल्ला कर बोली, "स्टॉप इट, ब्रदर-इन-लॉ! आप ऐसा नहीं कर सकते!"
द्रांश अपना फोन टेबल पर रखते हुए बोला, "अगर मैं ऐसा नहीं करूंगा, तो क्या तुम मेरी बाहों में आओगी?" कहकर उसने अपनी लैब की तरफ इशारा करते हुए कहा, "और क्या, मेरे गोद में बैठोगी?"
ये सुनकर मल्लिका को ऐसा लग रहा था जैसे वो अभी के अभी द्रांश की जान ले ले, लेकिन उसके पास कोई ऑप्शन नहीं था। वो गुस्से से चिल्लाते हुए बोली, "ओके, फाइन! मैं आपकी गोद में बैठूंगी, लेकिन ये आखिरी बार है जब आप मुझे ऐसे ब्लैकमेल कर रहे हैं। इससे ज्यादा आप मुझसे एक्सपेक्ट मत कीजिएगा!"
ये कहकर वो अपने पैर पटकते हुए अपनी जगह से खड़ी हुई और सीधे द्रांश की गोद में जाकर बैठ गई। हालांकि उसे बहुत असहज महसूस हो रहा था, लेकिन द्रांश उसकी पतली सी कमर को अपनी शैतानी नजरों से देखते हुए, उसे कसकर अपनी तरफ खींच लिया। उसे तेज पकड़ के साथ मल्लिका के मुंह से एक आह निकल गई, "अह्ह्ह्ह... ब्रदर-इन-लॉ!"
उसके मुंह से moan सुनकर द्रांश का चेहरा बिल्कुल डार्क हो गया।

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