
शाम का वक्त हो चला था। गर्वित एरिशा को बाजू से पकड़कर लगभग खींचते हुए सीधे कमरे की तरफ ले जाने लगा। एरिशा ने भांग पी रखी थी, जो अब उसके सिर पर पूरी तरह चढ़ चुकी थी। वो नशे की हालत में कभी जोर-जोर से चिल्ला रही थी, कभी हंसने लगती, तो कभी रोने लगती। इस वक्त वो खुद पर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं कर पा रही थी।
गर्वित गुस्से से लाल हो चुका था। उसने दांत पीसते हुए उसे कमरे में खींचकर लाया और तेज आवाज में चिल्लाया, "What the hell, एरिशा! What was the need to get this drunk? जब तुम खुद पर कंट्रोल ही नहीं कर सकती, तो नशा करने की क्या जरूरत थी?"

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